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- -. .. ... . .. ॥ श्री शड्वेश्वरपार्श्वनाथाय नमः॥ : पाटणना श्री संघवी पाडाना ताडपत्रीय जैन ग्रंथ भंडारनो एक परिचय - उत्तर गुजरातना महेसाणा जिल्लामा पाटण (प्राचीन नाम - अणहिलपाटक) नगरमा प्राचीन ताडपत्रीय ग्रंथोनो एक महान भंडार छे. आ भंडार लगभग हमणां सुधी पाटणना संघवी पाडामा हतो तेथी 'सघवी पाडाना भंडार' तरीके ओळखाय छे . - संघवी पाडामा एक पोसाळ (पौषधशाळा-उपाश्रय) छे तेमा आ भडार हतो एम सांभळवामां आव्युं छे के घणां घणा (बसो - चारसो के एथी पण वधारे) वर्षो पहेलां आ पोसाळमां रहेता गोरजीए आ ताडपत्रीय भडार संघवी पाडामा रहेता श्री सेवंतिलाल छोटालाल पटवाना पूर्वजोने साचववा माटे आपेलो हतो तेथी श्री सेवतिलाल छोटालाल पटवाना पूर्वजो घणी पेढीओथी आ भंडार संभाळता हता. श्री सेवंतिलाल छोटालाल पटवाए पण ज्यां सुधी ए जीव्या त्या सुधी प्राण करता पण अधिक गणीने आ भडार साचव्यो हतो. श्री सेवतिलाल छोटालाल पटवानो स्वर्गवास थया पछी तेमना सुपुत्रो नरेन्द्रकुमार, बिपिनचन्द्र तथा दीपककुमार आ भंडारने व्यवस्थित करवा इच्छता हता तेमनी इच्छाने ज ध्यानमा लईन विक्रम सवत् २०३२ना उन्हाळामा अमारे पाटण जवानुं थयु अने मारा प्रथम शिष्य देवतुल्य स्व. मुनिराजश्री देवभद्रविजयजी आदि साथे मळीने अमे आ भंडारने व्यवस्थित करवानु कार्य आरभ्यु हतुं.
आ भंडारना तथा पाटणना बीजा स्थानोमा पण रहेला ताडपत्रीय ग्रथोनो विस्तारथी परिचय आपतुं एक सूचिपत्र A DESCRIPTIVE CATALOGUE OF MANUSCRIPTS in the jain bhandars aL PATTAN वडोदरानी गायकवाड ओरिएण्टल सीरीज GAEKWAD'S ORIENTAL SERIES, Volume No. LXXVI तरफथी ईसवीय सन १९३७मा वर्षों पूर्वे प्रगट थयेलुं छे. परतु तेमा वर्णवेला संघवी पाडाना ग्रंथाको (ग्रथ नबरो) अने वर्तमानमा जे चालु ग्रथाको छे ते साव जुदा छे गायकवाडी नबरोथी साव जुदा जे चालु नंबरो छे ते क्यारथी थया छे अने कोणे कर्या छे तेनी अमने कशी ज खबर न होवाथी प अमृतलालभाई मोहनलाल भोजकने पूछतां तेमणे नीचे मुजब माहिती आपी छे . - 'गायकवाड सीरीझमां आ भंडारना जे कमाक छे ते ते समये भंडारनी सूचिमा हता तेने अनुसरीने छे पण आजथी प्राय ६० वर्ष पहेलां जेमणे आपणा अनेक प्राचीन भंडारोने व्यवस्थित कर्या छे ते परम पूज्य प्रवर्तक श्री कान्तिविजयजी महाराज तथा तेमना अनुक्रमे शिष्य-प्रशिष्य मुनिभगवत श्री चतुरविजयजी महाराज तथा मुनिभगवत श्री पुण्यविजयजी महाराज एम त्रणेय मुनिभगवंतोए आ भंडारना ग्रंथोने साइझ प्रमाणे गोठवी तेना रक्षण माटे लाकडाना डन्न्या वगैरेनी व्यवस्था करेली आथी ग्रथाकनो क्रमभंग करवो पडेलो. . . . .
अमने तपास करतां संघवी पाडानी पोसाळमां ज्यां आ ताडपत्रीय ग्रंथो राखवामा आव्या हता त्या कबाटमाथी अमने एक लिस्ट (सूचिपत्र) मळी आव्युं हतु, तेमां प्रारभमा गायकवाडी (गायकवाडे प्रकाशित करेला केटलोग प्रमाणे) नबर अने ते पछी वर्तमानमा जे चालु पेटी नबर छे ते दर्शाव्यो हतो उपरांत, ग्रथनु नाम, पत्रसख्या, कर्ता वगेरे घणी महत्त्वनी विगतो पण वर्णवी
- 'आ लिस्टने आधारे संघवी पाडाना भडारमा शु शुं छे अने शुं शु खूटे छे तेनी अमे तपास करी अने जे तद्दन अस्त-व्यस्त ग्रथ हता ते व्यवस्थित कर्या ते पछी संघवीं पाडाना आ भंडारना व्यवस्थापक स्व सेवंतिलाल छोटालालना सुपुत्रो नरेन्द्रभाई, बिपिनभाई तथा दीपकभाईए वेन्ड-वाजा साथे वाजते गाजते अत्यत बहुमानपूर्वक श्री पचासर पार्श्वनाथना देरासर पासे ज आवेला अने जेनी व्यवस्था पाटण श्री जैन संघना अधिकारमा छे ते श्री हेमचन्द्राचार्य जैन ज्ञानमदिरने विक्रम सवत् २०३२ना जेठ वदि छठ ता.१७-६-१९७६ना दिवसे अमारी हाजरीमा ज समर्पित को हतो त्यारथी आ सग्रह श्री हेमचन्द्राचार्य जैन ज्ञानमदिरमा ज छे,
१स्व आगमप्रभाकर पू मुनिराज श्री पुण्यविजयजी महाराजना शिष्यसमान प अमृतलालभाई मोहनलाल भोजक पासेथी नीचेनी हकीकत जाणवा मळी छे
'सघवी पाडानो भंडार ते लघु पोसालिक गच्छनो छे अने मूळमा ते गच्छना ज श्रावकोना वहीवटमा हतो आजे तो श्रावकोना मूळ गच्छो जाणी शकाय ते स्थिति नथी प्राय पाटणमा मोटा भागे तपगच्छनी परपरा होय तेवु जणाय छे लघु पोसालिक गच्छ ते तपगच्छनी ज शाखा छे मगरवाडामा आवेल तपगच्छना अधिष्ठायक देव श्री माणिभद्रजीना मंदिरनी व्यवस्था अने सभाळ लघु पोसालिक गच्छना ज यतिजीना अधिकारमा हती छेल्ले सूचित गच्छना यति श्री शातिसोमजी मगरवाडामा रहीने सचित मदिरनी देखरेख राखता'
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