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मल्लवादिकृत धर्मोत्तर टिप्पनक, मुग्धावबोध व्याकरण, मलयगिरि व्याकरण, प. दामोदर कृत उक्तिव्यक्ति प्रकरण,
याकरण. तिलकमजरी टिप्पनक शांत्याचार्य कत. सोमेश्वरदेवकृत विक्रमाकाभ्युदय काव्य, अभिनंदकृत रामचरित, सूक्त रत्नाकर, सूक्तसमुच्चय, लक्ष्मणनो सूक्ति सग्रह, विनयचंद्रनी कविशिक्षा, भोजदेव कृत सरस्वति कंठाभरणनी आजडकृत टीका, कल्पलता पल्लवशेष, वृत्तरत्नाकरनी त्रिविक्रमभट्ट विरचित टीका संवत १२२१मां लिखित, कौटिल्य अर्थशास्त्र उपर योघमनी टीका, सोमदेवसूरि कृत नीतिवाक्यामृत, दामोदर गुप्तनुं शंभलीमत अपरनाम कुट्टनीमतम, रामचद्रसूरि कृत रघुविलास नाटक, देवप्रभसूरिनुं अनर्धराघव टिप्पन, कर्पूरचरित भाण, हास्यचूडामणि प्रहसन, त्रिपुरादाह डिम, किरातार्जुनीय व्यायोग, समुद्रमंथन समवकार, रुक्मिणी हरण, ईहामृग, वाराही संहिता सं. १३१३मां लिखित, प्रश्नचूडामणिनिमित्तशास्त्र, लक्षण समुञ्चय शिल्पशास्त्र इत्यादि अलभ्य-दुर्लभ्य संख्याबंध प्राचीन प्रतो छ
आ उपरांत धाहिलकृत पउमसिरिचरिउ, वरदत्तकृत वइरसामिचरिउ, सुलसकखाणु, दूहामाई, रेवंतगिरिरासु, कवि सोल्हणनी पच्चरियो आदि अपभ्रश-गुजराती भाषानी कृतिओ पण आ संग्रहमा छे आचार्य श्री जिनप्रभसूरि आदिनी नानी नानी अपभ्रंश अने प्राचीन गुजराती कृतिओनो सग्रह पण विपुल छे सशोधननी दृष्टिए प्राचीन व्याकरणोनी व्याख्याओ, अलकारशास्त्र आदि विषयक सेकडो ग्रथो छे आजे प्रसिद्ध काव्य, कोष, अलंकार आदि ग्रंथोने शुद्ध करवा माटे आ प्राचीन प्रतो अति महत्त्वनी छे. वकपतिराजनो गउडवहो, कुतूहलनी लीलावती, आचार्य हेमचंद्रसूरिनी देशीनाममाला, शिशुपालवध संवत १२९६नी प्रत, नैषधकाव्य संवत १३०४नी प्रत, मोक्षाकर गुप्तनी तर्कभाषा, प्रवरसेन कृत रावणवध सेतुबंध महाकाव्य आदिनी प्राचीन प्रतो सशोधन माटे घणी उपयोगी छे
आ भडारमांनी प्रतोने अते लखायेली लेखकनी पुष्पिकाओ अनेकविध ऐतिहासिक माहितीओथी भरपूर होई गुजरातना इतिहास माटे घणी ज उपयोगी छे
पाटणना भंडारोनो अहीं टूकमा जे परिचय कराववामा आव्यो छे ए उपरथी आपणने समजाशे के आपणो साहित्यिक अने सास्कृतिक वारसो केटला विपुल प्रमाणमा छे अने आपणा नवनिर्माण माटे ते केवो उपयोगी छे.
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