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पाटणमा श्री हेमचन्द्राचार्य जेन ज्ञानमदिरस्थित कागळ उपरना हस्तलिखित (Parer MS) २००३५ ग्रंथोनो अकारादिकम
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क्रमाक
पुस्तकनु नाम
पत्र भाषा कर्ता
क्रमाक
पुस्तकनु नाम
पत्र भाषा कर्ता
६०८ पडावश्यकसूत्रवृत्ति सस्कृत
वृ राजवल्लभ गुर्जर बालावबोधरूप १७० पास गु अथवा जगवल्लभ १४१२३
पडावश्यकसूत्र वृत्तिसह २० प्रास ११९८२ षडावश्यकसूत्र सटीक ३८ प्रास टी कुलप्रभाचार्य
४११४ षडावश्यकसूत्र सस्तबक १२४ प्रागु १०८६७ पडावश्यकसूत्र सस्तबक १२७ प्रागु १०८८२ पडावश्यकसूत्र सस्तबक २७ प्रागु १०८८३ षडावश्यकसूत्र सस्तबक २० प्रागु ११४०६ षडावश्यकसूत्र सस्तबक २-२८प्रा सगु १३४२३
षडावश्यकसूत्र सस्तबक ४५ प्रा स गु. १३४७५ षडावश्यकसूत्र सस्तबक १० प्रास १३६३६ षडावश्यकसूत्र सस्तबक १५ प्रागु १३९५४ षडावश्यकसूत्र सस्तबक ३० प्रा सगु
षडावश्यकसूत्र सस्तबक २-४७ प्रा सगु ૨૪૮૮ર षडावश्यकसूत्र सस्तबक ११ प्रागु १५६६२ षडावश्यकसूत्र सस्तबक १४४ पास गुस्त जिनविजय १६०३९
षडावश्यकसूत्र सस्तबक १६ प्रास १६४८४
षडावश्यकसूत्र सस्तबक १३ प्रा सगु १९२८३ षडावश्यकसूत्र सस्तबक १०६ प्रागु स्त जिनविजय १०८८५ षडावश्यकसूत्र सस्तबक अपूर्ण
३३ प्रागु १५०१० षडांवश्यकसूत्र सावचूरि ७ प्रास १६३४४ षडावश्यकसूत्र सावचूार २३ प्रास अव तिलकाचार्य १६६१४
षडावश्यकसूत्र सावचूरि त्रिपाठ
२३ प्रास १६००३ षडावश्यकसूत्र सावचूरि पञ्चपाठ
१८ प्रास अव तिलकाचार्य १४२२९ षडावश्यकसूत्रावचूरि १७ प्रागु
१२७६० षडावश्यकस्तवन
३ गु विनयविजयोपाध्याय १२०७९ षड्आरास्वरूपगर्भितमहावीरजिनस्तवन
३ गु देवीदास ब्राह्मण ८८१२ षड्दर्शनप्रमाणविचारसड्ग्रहश्लोक
१ स. १८१९७ षड्दर्शनविचार सुभाषितादि ३ हिदी ८७५१ षड्दर्शनसग्रहसूत्र
२ स जाखराज ३७३१ (२) षड्दर्शनसमुञ्चय
४-६ स ५०९० षड्दर्शनसमुच्चय
२ स १४१६८ षड्दर्शनसमुञ्चय
४ स. राजशेखरसूरि १६४२८ षड्दर्शनसमुञ्चय
५ स राजशेखरसूरि १८४१८ षड्दर्शनसमुञ्चय, त्रिपाठ, सावचूरि
१० स हरिभद्रसूार १९४९५ षड्दर्शनसमुञ्चय टिप्पणी सह १ स १९५७८ षड्दर्शनसमुच्चय टिप्पणी सह १ स १८९०५ षड्दर्शनसमुच्चय टीका सह अपूर्ण
२५ स मू हरिभद्रसूरि २४५० षड्दर्शनसमुञ्चय तर्करहस्यदीपिका मू हरिभद्रसूरि, टीकासहित
१ स टी गुणरलसूरि २४५१ षड्दर्शनसमुञ्चय तर्करहस्यदीपिका टीकासहित
१३७ स टी गुणरलसूरि २४५२ षड्दर्शनसमुच्चय तर्करहस्यदीपिका मू हरिभद्रसूरि, टीकासहित
__११९ स टी गुणरत्नसूरि २५२१ षड्दर्शनसमुञ्चय तर्करहस्यदीपिका टीकासहित
१६६ स टी. गुणरलसूरि ६६९२ (२) षड्दर्शनसमुच्चय मूल २५ सं १९५२ षड्दर्शनसमुच्चय
मू याकिनीसूनु लघुटीकासहित
१७ स हरिभद्राचार्य |