________________
पाटणमा श्री हेमचन्द्राचार्य जैन ज्ञानमदिरस्थित कागळ उपरना हस्तलिखित (Paper Mss ) २००३५ ग्रथोनो अकारादिक्रम पुस्तकनु नाम
पत्र भाषा
कर्ता
पुस्तकनु नाम
पत्र भाषा
मदनप्रबोधिनीकथापीठ
अपूर्ण
५२४१ (२) मदनरेखा - नमिराजर्षिचरित्र
१६२२३
५४७४
मदनरेखाकथा गद्य अपूर्ण मदनरेखासतीप्रबन्ध मदनविनोद निघटु १७७६ (३) मदिरावतीकथा धर्मप्रभावे
१८०७७
५४४०
मधु मालतीकथा चउपई
१४२७३
क्रमाक
११२२६
मधुकरपरीक्षा
१८८०३
मधुकरपरीक्षा
८९२२ (२) मधुकरमणिकल्प ११३९१
६४०७ (३) मधुबिन्दुसज्झाय ९४०६ (१) मधुबिन्दुसज्झाय
६६२३ (५) मधुवर्णनकाव्य ६७९१ (५) मधुवर्णनकाव्य १३६७६
९३८५
१२०६५
१९६२२
३८२५ (३) मनशिक्षास्वाध्याय
१४०५८
१५७२९
११४८८
मधुबिन्दु - अढारनातराधन्नाशालिभद्र आदिनी सज्झायो
८३९३
मध्याह्नव्याख्यानपद्धति मन स्थिरीकरणस्वाध्याय मनकमुनिस्वाध्याय
मन भ्रमर गीत
मनुवर्णन अपूर्ण मनुष्यक्षेत्रगणित
मनुष्य क्षेत्र परिधिकरण
बालावबोध
मनुष्यक्षेत्रविचार
३-५५ स
४-८
स
४
स
२३ गु
३८ स
१६ स
२३ गु
१ गु
२ स
२ स
४-७ गु
३ गु
१ गु
४८ स
५०-५२ स
१६७ स
२ गु
१ गु
३ गु
२१-२२ गु
१ स
४ स
२ गु
५
स
पण्डित भायिल
मतिशेखर
मदनपाल
कायस्थ चतुर्भुज
महिमाप्रभसूरि आदि
३ चरणप्रमोद
केलिकवि
केलिकवि
हर्षनन्दन
शुभवर्धनशिष्य लब्धिविजय
मालरग
क्रमाक
११६७४
७८१६ (२) मनुष्यजन्मफलकुलक ११००५ (१) मनुष्यप्रमाणाङ्कविचार
६३७०
२०४४
मनुष्यभवदशदृष्टान्तस्वाध्याय मनुष्यभवदुर्लभताविषये दस दृष्टान्त तथा भक्तामरस्तोत्र
माहात्म्यकथा
मनुष्यभवविचारभास मनुष्यभवविचारसज्झाय मनुष्यभवोपरि कथाओ
मनुष्यभवोपरि दश दृष्टान्तकथाओ
२१०६ (१) मनुष्यभवोपरिदशदृष्टान्त
९१०९
६३६९
मनुष्य क्षेत्रशाश्वतजिनस्तोत्र
१७०६७
४८३६
२१०६
4
श्लोकबद्ध
मनुष्यभवोपरि दशदृष्टान्तादिकथासङ्ग्रह
११००५ (२) मनुष्यसख्यास्तव
११००४
१३ गु
१ गु
३ गु
३९ गु
१
स
२ प्रा
१ प्रा
२ गु बुद्धिसागरशिष्य
३० गु
१-२३ स
कर्ता
६४ सप्रा
१ प्रा
[ ३३१ ]
रत्नप्रभसूरि
२ धर्मघोषसूरि
मनुष्यसख्यास्तव सावचूरि त्रिपाठ
१११५३ (३१) मनोनिग्रहभावनाकुलक ४०-४१ प्रा ३१११ (३) मन्त्रगर्भितपार्श्वनाथस्तोत्र
१२३३२ (३) मन्त्रगर्भित पार्श्वनाथस्तोत्र
८९१७
मन्त्रराजरहस्य
१४७८६
मन्त्रसङ्ग्रह
१० सगु
१४५०१ (२) मन्त्रसङ्ग्रह जिनदत्तसूरिकृत
३ स
१२३८० (३) मन्त्रस्नानस्तोत्र तथा त्रिपुरान्यास २ स
१२१२४ (८) मन्त्राधिराजपार्श्वनाथस्तवन ७१-७२ स जयतिलकसूरि मन्त्रावलिविधिकल्प यन्त्रसह १८ गु
१४५००
१ प्रास मू धर्मघोषसूरि
रत्नसिहसूरि
२ स कविकुलप्रभ
१ स
१८- २३ स सिहतिलकसूरि