________________
पादणमा योमरतानाजो शामदिररियत कागळ उपरना हरततिरित (PeriK) २००३५ यथोगो कारादिकग पुग्नानाग पर भाषा का कमांक पुस्तक नाम
पर भाषा
का
मा
१९५९२ निवशाति स्तन १९६८० अजितशातिम्तन
३ प्रा नदिपेण १७४११ अजितशातिस्तव,साव० पंच-सचित्र
४ प्रासं मू नदिपेण १६४६१ (१) अजितशांतिस्तव अवचूरि १३ स.गु धर्मनदन उपाध्याय १७१२४ अजितशातिस्तव छायावरि सह
५ स मू नदिपेणमुनि १७३३५ अजितशातिस्तव सटीक त्रिपाठ
१५ प्रास जिनप्रभसूरि १७०७९ अजितशातिस्तव साव. पंचपाठ
९ स १६७२२ अजितशातिस्तव सावचूरि पश ४ स १७०४३ अजितशातिस्त सावचूरि पचपाठ
४ प्रास मू नदिषेण १६९२४ (३) अजितशाति स्तोत्र २३५-२३८ प्रा नदिषेण १९७६५(३) अजितशातिस्तोत्र १२-२० प्रा नदिषेणसूरि ९०५८ अजितशान्तिजिनविवाहलो स्तवन
२ अप मेरुनन्दनोपाध्याय १२३४४ अजितशान्तिनमस्कार १ अप. वजसेनसूरिशिष्य १३६३७ अजितशान्ति सस्तबक ७ प्रागु
९०२ (१९)अजितशान्तिस्तव २०२-२०४ प्रा नन्दिषेणाचार्य १०२३ (२९)अजितशान्तिस्तव १०७-१०९ प्रा नन्दिषेण १९५७ (२) अजितशान्तिस्तव २-४ प्रा नन्दिषेण १९८५ अजितशान्तिस्तव
४ प्रा नन्दिषेणसूरि २००९ (६) अजितशान्तिस्तव ९-१० प्रा नन्दिषेणाचार्य २०१७ (९) अजितशान्तिस्तव २०-२२ प्रा नन्दिषेणाचार्य ३३७६ अजितशान्तिस्तव
५ प्रा नन्दिषणाचार्य ३९९७ (३) अजितशान्तिस्तव
४-६ प्रा
८२७० अजितशान्तिस्राव
४ पा नदिपेण ९७८१ अजितशान्तिस्तव
८ प्रा नन्दिपेण १०१८८ अजितशान्तिस्तव
४ प्रा नन्दिपेण १३९२० (१) अजितशान्तिस्तव
५७ पास १०४७२ अजितशान्तिस्तव
३ प्रा. नन्दिपेण २८१६ अजितशान्तिस्तव अवचूरि ५ सं २६३९ अजितशान्तिस्तव
छन्द शास्त्रविवरण सहित त्रिपाठ
३ प्रास ४९४१ अजितशान्तिस्तव छन्दो-गणस्थापनालक्षणयुक्त
७ प्रा मू नन्दिषेण ४९४२ अजितशान्तिस्तव छन्दो-गणस्थापनालक्षणयुक्त
७ प्रा मू नन्दिषेण १५८७५ अजितशान्तिस्तव छन्दोलक्षणसह सावचूरि पशपाठ
५ प्रास मू नन्दिषेण २८०९ अजितशान्तिस्तव तथा संस्तारकपौरुषी
४ प्रा अजित. नन्दिषेण ३८७१ (१) अजितशान्तिस्तवन १५-१७ प्रा नन्दिषेण ३८७५ (१) अजितशान्तिस्तवन १-५ प्रा नन्दिषेण ३९६६ अजितशान्तिस्तवन
४ प्रा नन्दिषेण ८२७४ अजितशान्तिस्तवन
२ गु मेरुनन्दन उपाध्याय ९५४६ (१४)अजितशान्तिस्तवन १३३-१३७ प्रा नन्दिषेण ९९०१ अजितशान्तिस्तवन
३ प्रा. नन्दिषेण ११४३९ अजितशान्तिस्तवन ४ प्रा नन्दिषेण ११६८० अजितशान्तिस्तवन
३ स १२१५४ अजितशान्तिस्तवन
४ गु नन्दिषेण १२१५५ अजितशान्तिस्तवन
३ प्रा नन्दिषेण १२९६९ अजितशान्तिस्तवन
मू नन्दीषेण, बालावबोधसह
८ प्रागु बा मेरुसुन्दरगणि