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उपदेश
अपने साथियों को सुख होवे ऐसी फिकर रखने की आदत रखोगे, तबतक तुम्हारी उन्नति ही होगी, अवनति नही होगी। ___भिक्षुओ, मै अभ्युन्नति के दूसरे सात नियम कहता हूँ। उन्हे सावधानी पूर्वक सुनोः [१] घरेलू कामो मे आनंद नहीं मानना, २] वोलने मे ही सारा समय बिताने में आनंद नहीं मानना ३) सोने में समय ट करने में आनंद नहीं मानना [४] साथियों मे ही सारा समय नष्ट करने मे आनंद नही मानना, [५] दुर्वासनामो के वश नही होना, [६] दुष्टकी संगति में नहीं पड़ना, ७] अल्प समाधि-लाभ से कृतकृत्य नही होना । जबतक तुम इन सात नियमो को पालोगे तबतक तुम्हारी उन्नति ही होगी, अवनति नही।" .
___ "भिक्षुओ, मै पुनः अभ्युन्नति के दूसरे सात नियम कहता हूँ। उन्हे सावधानी पूर्वक सुनो.: [१] श्रद्धालु बनो [२] पापकर्मों से शरमाओ [३] लोकापवाद से डरो [४] विद्वान बनो [५] सत्कर्म करने में उत्साही रहो [६] स्मृति जागृत रखो [] प्राज्ञ बनो। जवतक तुम इन सात नियमो का पालन करोगे तबतक तुम्हारी उन्नति ही होगी, अवनति नहीं।"
"भिक्षुओ, मै फिरसे अभ्यन्नति के सात नियम कहता हूँ। उनपर ध्यान दो। ज्ञानके सात अंगो का हमेशा चिन्तन किया करो, वे सात अंग ये हैं : [१] स्मृति [२] प्रज्ञा [३] वीर्य [४] प्रीति [१] प्रश्नाब्ध [६] समाधि [७] उपेक्षा।"*
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