________________
सम्प्रदाय
७. बुद्ध धर्मः ,
चार आर्यसत्य में मनुष्य की अपनी न्यूनाधिक शक्ति के अनुसार मन, कर्म, वचन से निष्ठा हो और अष्टांग-मार्ग की साधना करते-करते वह बुद्ध-दशा को प्राप्त हो, इस हेतु के अनुकूल पड़नेवाली रीति से बुद्ध ने धर्म का उपदेश किया है। उन्होने शिष्यो के तीन भेद किए हैं : गृहस्थ, उपासक और मिक्यु ।। . . ८. गृहस्थ-धर्म:
- गृहस्थ को नीचे की पांच अशुभ प्रवृत्तियों से दूर रहना चाहिए:
[१] प्राणियों की हिंसा [२] चोरी [३] व्यभिचार [४] असत्य [५] शराव आदिका-व्यसन । . उसे नीचे की शुभ प्रवृत्तियो में तत्पर रहना चाहिए :
[१] सत्संग [२] गुरु, माता-पिता और कुटुम्व की सेवा [३] पुण्यमार्ग से द्रव्य संचय [४] मन की सन्मार्ग में दृढ़ता [५] विद्या और कला की प्राप्ति [६] समयोचित सत्य, प्रिय और हितकर भापण [७] व्यवस्थितता [८] दान [६] संबंधियों पर उपकार [१०] धर्माचरण [११] नम्रता, संतोष, कृतज्ञता और सहिष्णुता आदि गुणोकी प्राप्ति और अन्त में [१२] तपश्चर्या, ब्रह्मचर्य आदि के मार्गपर चल चार आर्यसत्यो का साक्षात्कार कर मोक्प की प्राप्ति। ९. उपासक का धर्म:
उपासक को गृहस्थ-धर्म के उपरान्त महीने मे चार दिन निम्नलिखित व्रतो का पालन करना चाहिए: