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चिदाभास जीव न तो मिथ्या है और न तो सत्य ही है। इस प्रकार बन्ध मोक्ष व्यवहार
की उपपत्ति की जाती है विद्यारण्य स्वामी ने अपने ग्रन्थ पञ्चदशी (तृ० प्र० १५) में और उनके शिष्य श्री रामकृष्ण तथा परम्परया शिष्य श्री अच्युतराम ने अपनी व्याख्या में अवच्छेदवाद, प्रतिबिम्बवाद एवं आभासवाद में अन्तर न मानकर एक ही माना है। वास्तव में जितना अन्तर भामती-प्रस्थान और विवरण प्रस्थान में है उतना अन्तर वार्तिक प्रस्थान तथा विवरण प्रस्थान में नहीं है। यही कारण है कि अनेक परवर्ती आचार्य वार्तिक प्रस्थान तथा विवरण प्रस्थान दोनों के अन्तर्गत रखे जा सकते है। तथापि सम्प्रदाय विद् के नाम पर सूत्र भाष्य वार्तिक विद् ही आते है और आभासवाद मुख्यतः वार्तिक प्रस्थान का सिद्धान्त है। इस कारण विवरण-प्रस्थान से वार्तिक प्रस्थान को
भिन्न माना जाता है।
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