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________________ ४. उपदेशसाहस्री (केवल पद्यात्मक अंश)। आचार्य शङ्कर की रचनाओं में मुख्य दो वर्ग हैं- भाष्य और प्रकरण। उपदेश साहस्री प्रकरण ग्रन्थ है और शेष भाष्य ग्रन्थ हैं। किन्तु आचार्य शङ्कर द्वारा लिखित ग्रन्थों को हम चार कोटियों में विभाजित कर सकते हैं १. भाष्य ग्रन्थ २. प्रकरण ग्रन्थ ३. स्तोत्र ग्रन्थ ४. तन्त्र ग्रन्थ। भाष्य ग्रन्थ आचार्य शङ्कर द्वारा प्रणीत भाष्य ग्रन्थों को दो भागों में विभक्त किया जा सकता है- (अ) प्रस्थानत्रयी (ब) इतर ग्रन्थों पर भाष्य । प्रस्थानत्रयी भाष्य के अन्तर्गत १. ब्राह्मसूत्र भाष्य २. गीता भाष्य और उपनिषद् भाष्य आते हैं। इन भाष्यों के द्वारा शङ्कराचार्य ने सिद्ध किया है कि अद्वैतवेदान्त के तीन अध्याय हैं। उपनिषद भगवदगीता और ब्रह्मसूत्र तीनों का समन्वय अद्वैत वेदान्त में होता है। शङ्कर के पूर्व कोई भी व्यक्ति प्रस्थानत्रयी का भाष्यकार नहीं था। ब्राह्मसूत्र यह आचार्य की अद्वितीय कृति मानी जाती है। बादरायण कृत ब्रह्मसूत्र परमलघु और संक्षिप्त है बिना भाष्य को इसको समझना कठिन है। आचार्य शङ्कर ने बड़ी सरल, सुबोध मधुर कोमल, तथा प्रसन्न शैली में ब्रह्मसूत्र का भाष्य किया जाता है। भाषा बड़ी ही प्रौढ़ तथा साथ ही प्रसाद युक्त है। वाचस्पति मिश्र जैसे अद्भुत विद्वान और प्रौढ़ दार्शनिक ने आचार्य शङ्कर के इस भाष्य को केवल प्रसन्न गंभीर भर ही नहीं कहा है। बल्कि इसे गंगाजल सदृश पावन बताया है। 247
SR No.010176
Book TitleBramhasutra me Uddhrut Acharya aur Unke Mantavyo ka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVandanadevi
PublisherIlahabad University
Publication Year2003
Total Pages388
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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