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किया । यह उस समय प्रचलित विभिन्न विरोधी विचारों को एक ही दार्शनिक प्रतिज्ञापत्र में बांधने की कोशिश थी ।'
अतः इसकी रचना में विभिन्न सम-सामयिक विचारों के प्रभाव को देखा जा सकता है। वेदान्त सिद्धान्त के साथ-साथ सांख्य अवधारणाओं कर्म के सिद्धान्त के साथ ही ज्ञान, भक्ति और सन्यास सबको ही कृष्ण ने अर्जुन के संदेहों का निवारण करने के लिये इस्तेमाल किया। परन्तु इसमें सबसे महत्वपूर्ण स्थान सांख्य को दिया गया गीता में भृगु को जहां सबसे बड़ा ऋषि माना गया है वहां कपिल को श्रेष्ठ सिद्ध माना गया है। इस प्रकार गीता, जो स्वामी विवेकानन्द के शब्दों में, 'उपनिषदों से संगृहीत आध्यात्मिक सत्यों के मनोरम पुष्पों का सुन्दर पुष्प गुच्छ है।'
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