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अनुक्रमणिका
अङ्ग कानाम छन्दसजना अङ्गकानाम छन्दसहया ४१ चौबोसों तीर्थधरों के ४८ सुबुद्धिसखीप्रतिबचन ८८
चिन्हवर्णन १ ४८ गुजरातीभाषामै शिक्षा ८e ५२ ऋषभदेव के पूर्वभव ५. दृश्यलिङ्गीमुनिनिरूपण. कथन
र ५१ अनुभव प्रशमा २१ ४३ चन्दाप्रभुस्खामोके पूर्व ५२ भगवानसों वीनतो २ भवकथन
३ ५३ जनमतप्रशसा ३ता१०५ ४४ शान्तिनाथ के पूर्व भव ५४ जैन शतक रचने वा कथन
कवि का हाल १०६ ४५ नेमिनाथ के पूर्व भव ५५ जैन शतक के संपूर्ण कथन
८५ होने का सम्बत् सही ४६ पार्श्वनाथ के पूर्व भव
ना तिथि बार
कथन
४७ राजायशोधरकैपूर्वभव
कथन
निवेदन बिजनों को विदितहो कि जेमशतक की काव्यों में जो ऐसा . चिन्ह देखोगे वह पिङ्गल की रोतिसे जहांजहां वर्ण वा मात्राओं की गिन्ती पर विश्राम है तह तहां कर दिया है। यह चिन्ह छन्द बांचने में प्रति सहायक होगा पद वा शब्द वा बाक्य के अनुकूल नहीं किया है जैसा अङ्ग जो में होता है।
अमनसिंह