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श्री जिनायनमः
भूधर जैन शतक लिखाते .
श्री पम देव की स्तुति पोमावती छन्द
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ज्ञान जिहाज वैठ गणधरसे, गुण पयोधि जिस नांहि ती हैं। अमर समूह आन अवनी सों; घस घस सोस प्रणाम की हैं। किधौं भाल कु कर्म की रेखा; दूर करन को बुद्धिं धरे हैं। . ऐसे आदि नाथ के अहनिशि; हाथ जोर हम पाव पर हैं ॥ १॥