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________________ ६८ भूधरजेनशतक श्रीपार्श्वनाथ जी के भवान्तर नाम ' सवैयाङ्ककतीसा विन यूत मक भूत विच क्षण' बज घोष गज ग इन संकार । सुरपुनिसहसरश्मि विद्याधर; अच्युत वर्ग अमरौ भरतार । मझुग इन्द्र सहम ग्रेवयक' राजयुव आनंद कुमार । आनतेन्द्र दश मै भव जि . नवर , भये पास प्रभु के अवतार ॥ ८६ ॥ शब्दार्थ टीका (विप्र ) ब्राह्मण (पूत ) बेटा (मरुभूत ) नाम (विचक्षण ) चतुर ( वधोपगा) हाथी का नाम ( गहन ) बन ( मझार ) बीच (कर) , देवता ( सहारश्मि ) नाम विद्याधर (अमरी) देवअङ्गाना ( भरत.र) पति [ मनुज ] मनुष्य ( अवयक) सौमे उ.पर स्थान है जो गिन्तोमें । सरलार्थ टौका १ भव में ब्राह्मण के पुत्र मरभूत नाम हुये २ जन्म में बबधोष नाम ह सी इये ३ भवमें देवता ४ जन्ममें सहनरश्मि नाम विद्याधर हुये ५ पचत नाम मोलवें स्वर्गमें देव अङ्गना पति भये ६ जन्म में राजा भये . मध्यम ग्रेवयकों में देवता इये ८ भानन्द कुमार राजपुत्र हुये
SR No.010174
Book TitleBhudhar Jain Shatak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhudhardas Kavi
PublisherBhudhardas Kavi
Publication Year
Total Pages129
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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