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भूधर मतक
नेपर अमृत को कोई लोड नहीं थेो दुष्टनम उत्पन करे फिर विष से क्या प्रयोजन रहा दाता बनाये फिर कल्पवृक्ष कयौं बनाये और जब या चक पुरुष पैदा करे तो फिर क्यों पैदाकरें इटके मिलने को वराव रघनसार शीतल नहीं है और जगतके ख्याल इन्द्रजाल को सम झूटे है ऐसो ये दो दो बात जो एकसों दिखाई देती हैं हे विधाता किस कार बनाई मेरे मन में इसका धोका है
चौबीस तीर्थङ्करों के चिह्न वर्णन
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छप्पे इन्द
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गजपुत्र गजराज; बाणि बानर मन मोहे ।
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कोक कमल साथिया' सोम सफरीपति मोहै ।
१२ १३
श्रीसम गैंडा महिष; कोण पुनि सेही जानों ।
१५ १६ १७ १८ १८ २०
aa हिरन च मौन' कलश कच्छप उर मानों
२१ २२ _२३ २४
शतपत्र म अहिराज हरि' ऋषभदेवजिनचादिले । श्रो बर्द्धमानलोंजानिये' चिन्हचारुचौबोसये ॥ ८१ ॥
शव्दार्थ टोका