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चतुर्थ खण्ड : तेइसवाँ अध्याय
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५. कुष्माण्डवीज की भीतर को मीगी निकालकर उसको पीसकर ई से १ तोला तक मधु के साथ सेवन से तीन दिनो तक प्रयोग करने से उन उन्माद मे भी लाभ होता है । कुष्माण्ड को पीस कर मिश्री के माथ शर्वत बनाकर पिलाना वडा उत्तम कार्य करता है । इससे उच्चरक्त-निपीड ( Hypertension ). कम होता है ।
६ चटक मास - गोरेये के कच्चे माम को पीसकर गाय के दूध के साथ सेवन करने से उन्माद का शमन होता है । ७ कोकिल ( कोयल या पिक ) के मास को सिद्ध करके रोगी को सेवन करा के निर्वात स्थान मे रखने से स्मृति ओर वृद्धि का विभ्रंश दूर होकर रोगो चेतना मे आ जाता है । ( नीग) ताजा मधु मिलाकर सेवन करना तथा ९ सरसो के तेल का नस्य और अभ्यंग उन्माद में लाभप्रद होता है ।
८ ताड का रस
१० पुराने घृत को दूध में मिलाकर प्रतिदिन पीने से उन्माद शान्त होता है ।
११. रोगी मे चिडचिडापन हो तो उसमे अर्जुन के चूर्ण का प्रयोग घृत के साथ करे | १२ उन्माद मे वरुणत्वक् का चूर्ण, कपाय या घन सत्त्व' भी उत्तम लाभ करता है । १३ सर्पगधामूल - इसका प्रयोग ताजा मिल सके तो २ माशा पानकर मरिच और मिश्री के साथ शर्वत बनाकर पिलावे । ताजा न मिले तो मूल को मुखाकर चूर्ण बना कर रख ले । १ से २ माशा की मात्रा मे दिन मे दो बार गुलकंद १ तोले साथ अथवा गुलाब के फूल की पंखुडी और मिश्री के साथ करे । वडा उत्तम लाभ मिलता है । यह उच्च रक्तनिपीड के लिये अमोघ औषधि मानी ' जाती हैं | सम्पूर्ण विश्व में इसका प्रयोग आज होने लगा है । १४ श्वेत फूल वाली बला का चूर्ण १ तोला दूध के साथ पीना । १५ लहसुन का घृत के साथ प्रयोग भी उत्तम रहता है ।
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सारस्वत चूर्ण
योग - मीठा कूठ, अश्वगंध, सैधव, अजवायन, जीरा, काला जीरा, सोठ, मरिच, पीपरि, पाठा और शखपुष्पी प्रत्येक १ तोला । इन सब के बराबर मीठी वच लेकर कूट-पीसकर छानकर महीन कर लेवे । फिर इसमे ब्राह्मी स्वरस को तीन भावना देकर सुखाकर रख ले | मात्रा १ से २ माशे । अनुपान घृत ६ मागे, मधु १ तोला | इससे उन्माद ठीक होता है, बुद्धि और स्मृति बढती है | सर्पगंधा घनवटी - सर्पगंधा १० सेर, खुरासानी अजवायन की पत्ती २ सेर, जटामासी २ सेर, भाग १ सेर । जोकुट करके अठगुने जल मे मदी आँच पर पकावे और हिलाता रहे। जब अष्टमाश वाकी रहे तब ठंडा होने पर
२६ भि० सि०
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