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________________ ३६८ भिपकर्म-सिद्धि हो तो उसको स्निग्ध और मृदु विरेचन देना चाहिए । अमल्ताश, त्रिवृत्, मुनक्का, तिल्वक कपाय या विदारी कंद के स्वरस से सिद्ध वृत से कमजोर रोगियो का गोधन करना चाहिए। भेपज-रोगी में अनुवासन वस्ति का प्रयोग बृतमण्ड या मिश्रक स्नेह में मधु मिलाकर । जाङ्गल मास, विल मे रहने वाले पशु-पक्षियो का मास तथा माम खाने वाले पशु-पक्षियो के मास जो विगेप बृहण होते हैं, क्षयज कास मे खाने के लिए देना चाहिये । क्षयज कास मे चटक-मास का प्रयोग भी लाभप्रद बतलाया है। पिप्पली गुड से सिद्ध अथवा छागीक्षीर से सिद्ध घृत क्षयज कास मे पिलावे। अचूर्ण के चूर्ण को वासा के स्वरस मे बहुत वार भावित करके वशलोचन, घृत, मधु और मिश्री के साथ मेवन । मुस्तकादिलेह-मोथा, पिप्पली, द्राक्षा, पके बडी कटेरी का फल सम भाग मे चूर्ण बनाकर घृत और मधु मिला कर सेवन । कास रोग का सर्व सामान्य प्रतिषेध-शास्त्रीय दोपानुसार चिकित्सा के अनन्तर व्यावहारिक चिकित्सा का उल्लेख किया जा रहा है। वास्तव में आधुनिक चिकित्सा मे अधिकतर इन्ही क्रिया-क्रमो का अनुपालन करते हुए रोगी को रोगमुक्त किया जा सकता है। भेपज-शृंगवेरस्वरस-(अदरक का रस )१० से २० वूद, मधु ६ मागे के साथ पिलाना। इसका उपयोग अधिकतर रस योगो के सेवन काल में अनुपान या सहपान के रूप में व्यवहृत होता है। सभी प्रकार के कास में लाभप्रद पाया जाता है। आईक के रस के साथ मधु की जगह पर पुराने गुड या चीनी की चाशनी का भी उपयोग हो सकता है। विभीतक (बहेरा-बहेरेके फल को घो मे चुपडकर उसके ऊपर गाय का गोवर लपेट कर आग में डाल कर पकाले। इस प्रकार स्विन्न विभीतक को ठडाकर के उसका चूर्ण बनाले । मुख में रख कर चूसने में कास तथा श्वास रोग मे अद्भुत लाभ दिखलाता है। औपवियो के अनुपान रूप मे इम विभीतक के चूर्ण का प्रयोग किया जा सकता १ सम्पूर्णरूप क्षयज दुर्वलस्य विवर्जयेत् । नवोत्थित बलवत. प्रत्याख्यायाचरेत् क्रियाम् ।। तस्मै बृ हणमेवादी कुर्यादग्नेश्च दीपनम् । बहुदोपाय सस्नेहं मृदु दद्याद् विरेचनम् ।। सम्पादन निवृतया मृद्वीकारसयुक्तया। तिल्वकस्य कपायेण विदारीम्बरसेन च ॥ मपि सिद्धं पिवेद्य क्त्या क्षीणदेहो विशोधनम् ॥ (च चि. १८)
SR No.010173
Book TitleBhisshaka Karma Siddhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamnath Dwivedi
PublisherRamnath Dwivedi
Publication Year
Total Pages779
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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