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________________ २९८ भिपकर्म-सिद्धि __ पाचन चूर्ण-काला नमक १ भाग, काली मिर्च १ भाग, शुद्ध नौसादर १ भाग, शुद्ध हीग १६ भाग । मात्रा-३ माशे । उष्ण जल से। विडलवण वटी-काला नमक, सेधा नमक प्रत्येक २० तोले, अजवायन, काली मिर्च, छोटी पीपल, चित्रकमल, अजमोद, धनिया, डाँसरिया (यूनानी गिर्द समाक), सूखा पुदीना, घृत मे भुनी होग, पीपरामूल, नौसादर प्रत्येक १० तोले । सव द्रव्यो का सूक्ष्म कपडछान चूर्ण कर कागजी नीबू के रस की तीन भावना देकर चने के बराबर की गोलियाँ । ( सि यो सं ) विदग्धाजीण-प्रतिपेध-शीतल जल को थोडी-थोडी मात्रा मे बार-बार पीने से विदग्व अन्नपाक शीघ्र ही हो जाता है क्योकि जल स्वभाव से शीतल होने से प्रकुपित पित्त को नष्ट कर देता है। और जल से अन्न क्लिन्न होकर नीचे की ओर (क्षुद्रात्र एवं वृहदन्त्र ) की ओर चला जाता है पश्चात् मलाशय से बाहर होकर सुखपूर्वक उत्सर्जित हो जाता है । __ भोजनोपरान्त यदि भुक्त द्रव्य से विदाह हो एव तज्जन्य हृदय, कोष्ठ तथा गला जलता हो तो हरीतकी, मुनक्का और मिश्री सम भाग मे मधु के साथ मिलाकर चाटना चाहिये। काजी मे दोलायत्र की विधि से स्विन्न हरीतकी और पिप्पली और सेधा नमक मिलाकर सेवन करने से मुख से धुए युक्त डकारो का निकलना वन्द होता, अजीर्ण शान्त होकर क्षुवा जागृत होती है । शतपत्र्यादि चूर्ण-(पूर्वोक्त) ३ माशे की मात्रा मे अथवा अविपत्तिकर चूर्ण ( अम्लपित्ताधिकार ) ३ माशे की मात्रा मे दिन मे दो-तीन वार । द्राक्षादि योग-मुनक्का ६ माशे, हरीतकी चूर्ण ६ माशे, चीनी ६ माशे, मधु १ तोला । मिला कर चाटना । क्षारराज-ताड के पुष्प की भस्म १ भाग, असली यवक्षार १ भाग, सजिका क्षार १ भाग, वराट भस्म १ भाग, शंख भस्म १ भाग, श्वेत कुष्माण्ड क्षार १ भाग । एक मे बारीक घोट कर चूर्ण रखे । मात्रा-२ माशा, चीनी का शवंत १ छटाक मे मिलाकर ऊपर से नीव का रस डाल कर फेन उठते ही पिये। एक शीशे के बर्तन मे शर्वत को रखे । (चि आ ) विष्टधाजीणं प्रतिपेध-स्वेदन, दिवास्वाप तथा वायुशामक योग । जैसे १. हिंग्वष्टक चूर्ण-३ माशे गर्म जल से । २. हिग्वादिवटी (कुपीलुयुक्त) अजीणे मे सामान्यतया प्रयुक्त होने वाले कुछ योग जम्बोर लवणवटी-जम्वीरी या कागजी नीबू का रस १२० तोल, सेंधा नमक १२ तोले, सोठ २॥ तोले, अजवायन २॥ तोले, सज्जीखार
SR No.010173
Book TitleBhisshaka Karma Siddhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamnath Dwivedi
PublisherRamnath Dwivedi
Publication Year
Total Pages779
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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