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________________ २१४ भिपक्कम-सिद्धि मुनक्का, महुवे के फूल, लाल चदन, नीलकमल, गाम्भारी की छाल, पदमकाट, लोध्र, हरे, वहेरा, आंवला, कमल केसर, फालमा, स्वम और धान का लावा इन द्रव्यो को सम भाग मे लेकर, कूट कर शुद्ध जल मे भिगोकर मिट्टी के पात्र में भर कर रात भर रख दे। प्रात.काल में साफ हायो ने मसल कर छान कर उसमे शहद ६ मागे और चीनी ६ माशे मिलाकर ज्वरी को पिलाना चाहिये । प्रात -सायम् दिन में दो बार पिलावे । पित्तश्लेष्म ज्वर-१ पटोलादिकपाय-पटोल पत्र, नीम की छाल, हरे, वहेरा, आंवला, मधुयष्टि और बला में सिद्ध कपाय । २. अमृहताष्टक कपाय-गुडूची नीम की छाल, कुटकी, मोथा, इन्द्र जौ, सोठ, परवल की पत्ती और लाल चंदन इन द्रव्यो से सिद्ध कपाय में पिप्पली का चूर्ण ४ रत्ती की मात्रा में मिलाकर पिलाना । ज्वर, छदि, तृपा और दाह को नष्ट करता है। वातश्लेष्म ज्वर-१ दगमूल क्वाथ में पिप्पली चूर्ण एक माशा का का प्रक्षेप डालकर पीना। २ आरग्वधादि पाय-अमलताग की गुद्दी, पिपरा मूल, मोथा, कुटकी, हरे के टिल्के का काटा। ३ कंटकारी मूल, गुठी, मुची पुटष्कर मूल का काढा । कास, वास तथा पार्श्वगूल में लाभप्रद । त्रिदोषज ज्वर-इम ज्वर का स्वतत्रतया एक अव्याय में उल्लेख किया जायगा । यहाँ पर एक इङ्गित मात्र के लिये इस प्रकार के स्वर में व्यवहृत होने वाले कुछ कपायो का नामोल्लेख किया जा रहा है। १ द्वात्रिशाङ्ग क्वाथ-भारङ्गी, चिरायता, नीम की छाल, नागर मोथा, कुटकी, मीठावच, सोठ, पीपल, मरिच, अडूसे की पत्ती, इन्द्रायण को जड़ को छाल, रास्ना, अनन्तमूल, परवल का पत्राग, देवदार, हल्दी, पाढल, तेदू, ब्राह्मी, दारुहल्दी, गुर्च, अगस्त, चीड, लालकमल, त्रायमाणा, भटकटैया, वनभण्टा, कुडे, की छाल, आँवला, हरे, वहेरा और कचूरको सम भाग लेकर क्वाथ बना कर पीना । २ बृहत्कटफलादि-कायफल, नागरमोथा, वचा, पाठा, पोहकरमूल, काला जोरा, पित्तपापडा, काकडा मिनी, इन्द्रयव, धनिया, कचूर, भृगुराज, पिप्पली, कुटकी, हरड, चिरायता, भारङ्गी, घृतजित होग, वला (वरियारा), दशमूल की योपवियाँ और पिपरामल इन सवको बराबर-बराबर क्वाथ वना कर घृतजित होग ३ रत्ती, आदी का स्वरस १ तोला मिला कर पीना । ३ अष्टादशाङ्ग क्वाथ-चिरापता, देवदार, गालिपर्णी, पृष्ठपर्णी, छोटी कटेरी, वढी कटेरी, गोखरू, वेल की छाल, स्योनाक, गम्भारी की छाल, पाढल, अरणी की छाल, सोठ, मोथा, कुटकी, इन्द्रजी, पुरानी धनिया, गजपिप्पली का काटा बना कर प्रात काल में पीना ।
SR No.010173
Book TitleBhisshaka Karma Siddhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamnath Dwivedi
PublisherRamnath Dwivedi
Publication Year
Total Pages779
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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