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भिपकर्म-सिद्धि
प्रतिमर्श -- नस्य जन्म मे लेकर मृत्यु पर्यन्त उत्तम है, क्योंकि यह प्रतिम नित्य सेवन करने ने मर्ग नस्य की भांति गुणकारी है, उसमें न तो किसी प्रकार के पथ्य की आवश्यकता है और न मरी के समान अक्षिस्तम्भता यदि किसी प्रकार के उपद्रव का भय है । प्रतिमन की विधि यह है कि प्रदेशिनी अली के दो पर्दो को तैल ने डुबो कर निकाल लेने में जो बूंदे गिरती है उसका नाम बिन्दु है । मर्श नस्य की दम बिन्दु उत्कृष्ट मात्रा, बाठ विन्दु, उत्तम मात्रा ६ बिन्दु मध्यम मात्रा, और चार विन्दु ह्रस्व मात्रा है | आचार्य सुश्रुत ने प्रतिमर्श को मात्रा इन प्रकार की बतलाई है - नाक मे नन्य रूप से डाला स्नेह छोकने पर मुज पर आ जाय वही प्रतिमर्श का प्रमाण है । इसी को प्रतिमर्ग की मात्रा समझे ।
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नित्य प्रति वरतने के लिए नम्य मे तैल ही उत्तम है । स्वस्य पुन्य का सिर ही कफ का स्थान होता है । दूसरे स्नेह इतने गुणकारी नहीं है जितने गुणकारी तैल है | यदि मर्ग और प्रतिमर्श में कोई भेद न हो तो कोई मनुष्य पथ्य वाले एवं आपत्तियुक्त मर्श नस्य का सेवन न करे । क्योकि मर्श नस्य शीघ्रकारी एवं गुणो में उत्कृष्ट है । प्रतिमर्श देर में काम करने वाला और गुणो में हीन है । जिस प्रकार कि अच्छ स्नेह के सम्वन्ध में कुटी प्रवेश स्थिति और वातातपरिस्थिति अथवा अनुवासन वस्ति में शीघ्रकारित्व और चिरकारित्व, गुणों को श्रेष्ठता और होनता रहती है । इमी प्रकार मर्श एव प्रतिमर्ग में भी भेद रहता है ।
प्रतिमर्श का काल :- प्रतिमर्श नस्य का उपयोग चौदह समय में करना चाहिए यथा- - प्रातः विस्तर से उठने पर, दातो को साफ करके, घर से बाहर निकलते समय, व्यायाम, मैथुन, मुसाफिरी से थका होने पर, मूत्र - मल-कवल और वजन के पीछे, भोजन करके, वमन करके, दिन में सोकर उठने पर और सायं काल प्रतिमर्श नस्य लेना चाहिए ।
इसमें प्रातःकाल विस्तर से उठकर सेवन किया प्रतिमर्श नस्य रात्रि में एकत्रित हुए, नासानोत में आए हुए मल को नष्ट करता है और मन को प्रसन्नता देता है | दांतो को साफ करके लिया प्रतिमर्श नस्य दाँतो को दृढ एवं मुख में सुगन्ध उत्पन्न करता है। घर से बाहर जाते समय सेवन किया प्रतिम नासा स्रोतो को क्लिन्न रखने से धूल या धुएँ का प्रभाव नही होने देता । व्यायाम, मैथुन या मुसाफिरी से थके हुए होने पर सेवन किया नस्य थकान को मिटाता है । मल-मूत्र त्याग के पीछे सेवन किया दृष्टि के भारीपन को दूर करता है । क्वल के पीछे लिया दृष्टि को निर्मल करता है। भोजन करके सेवन किया स्रोतो