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१०] भगवान पार्श्वनाथ । भूति जब तुम्हारी काली करतृतको जानेगा तो कितना दुखी होगा। कितना भोलाभाला, धर्मात्मा और आज्ञाकारी वह तुम्हारा भाई है। फिर राज्यका भी जरा भय करो | यह मत समझो कि तुम्हारे इस दुष्कर्मको कोई जान नहीं पायगा । यह वात नहीं है । राजाके कानोतक यह खबर पहुंची तो फिर तुम्हारी क्या दशा होगी, यह सोचो । बस, कहना मानो । विसुन्दरीका ध्यान छोड़ो !
कमठके मित्र कलहंसने उसको हर तरहसे समझाया-ऊंच नीच सब कुछ सुझाया पर उसकी समझमें कुछ न आया । सच है जिसका भविष्य दुखद होता है उसको कितना ही कोई सन्मार्गको सुझाए पर यह सब अरण्यरोदनवत होता है । कामीपुरुषको हेबाहेयका कुछ ध्यान नहीं रहता । वह अपने कुत्सित प्रेममें अंधा होजाता है। कमठका भी यही हाल था। कविवर भूधरदासजी भी इस विषयमें यही कहते है:
“यों कलहंस अनेक विध, दई सीख मुखदैन । ते सब कमठ कुसीलमति, भये विफल हितवैन । आयुद्दीन नरको जथा, औषधि लगे न लेस । त्योही रागी पुरुष प्रति. च्या धरम-उपदेश ।।" ___ मंत्री-पुरोहित विश्वभृतिका ही ज्येष्टपुत्र यह कमठ था। बचपनसे ही इसका स्वभाव कुटिल रहा था। यह मतिका हेठा था । टसके विपरीत इसका छोटा भाई मरुभूति बिल्कुल सरलबमावी था । एक ही कोखसे जन्मे हुये यह दोनों विष और अमृततुल्य थे, यही एक अनोखी बात है। '
रानमत्री विश्वमूतिके दीक्षा गृहण कर जानेके बाद कमठ