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[ ६८ ] १३५०-१३६०) क्ल्ग्सूत्रमें आर्यदत्तकी संरक्षता में १६००० श्रमण, पुष्पकला आर्थिक की प्रमुखतामें २८००० आर्यिकायें. १६४००० श्रावक सौर ३२७००० श्राविकायें बतलाये हैं । भावदेव रके ग्रन्थ में यह सख्या इस रूप में देखने को नहीं मिली है । शत्रुञ्जय माहात्म्य (१४११ - ९७ ) में भी पूर्वभवोंका वर्णन नहीं है । उसमें प्राणतकल्पसे भगवानका चरित्र प्रारम्भ दिया गया है। इसमें कमठी शत्रुता का उल्लेख संक्षेप में है । (१४-४२, दशभत्रागतिः क्ठासुर ), दिव हका उल्लेख इसमें भी है, परन्तु इसमे पार्श्वनाथ जी की पत्नी प्रभावतीको प्रसेनजितके स्थानपर नरवर्मनकी पुत्री लिखा है । प्रसेनजित नरवर्मनका पुत्र है । भावदेवसु रेजीने प्रभावतीको प्रसेनजिकी पुत्री लिखा है ( ५ | १४६ . किन्तु चौहादि ग्रन्थोंसे प्रगट हैं कि प्रमेनजित मबुद्ध के समकालीन थे ।' इस अवस्थामें न इ और न उनके पिना भगवान पार्श्वनाथजी के समय में पहुंच सक्ते है । इस कारण उनका यह कथन नि पार प्रतीत होता है कि भगवान पार्श्वनाथजीका विवाह हुआ था । उनके कल्ण्मूत्रादि प्राचीन ग्रंथोंमें इसका कोई उल्लेख नहीं है, यह हम पहले ही कह चुके हैं । किंतु इनके उपान्तके ग्रन्थोंमें पूर्वभव वर्गन आदिके विशेष उल्लेख संभवतः दिगम्बर सम्प्रदाय के ग्रन्थोंके आधारपर इस ढंग से लिखे गए होगे कि वह स्वतंत्र और यथार्थ प्रतीत हो । अतएव निम्न में दि० और ० ग्रन्थोमें जो परस्पर भेद है उसको देख लेना भी आदव्यक है ।
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० के मावदेवमूरिकृत पार्श्वचरितसे ही हम इस प्रभेदका १ - क्षत्रिय क्लेन्स इन बुद्धिस्ट इन्डिया, पृ० १२८–६२९ ।