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________________ ४ पौराणिक खण्ड । भगवान् के पूर्वभव * कल्पसूत्रादि पुराणों में भगवान् महावीर के कई पूर्वभवों Sa - का वर्णन किया गया है। इस ग्रन्थ के पौराणिक खण्ड की पूर्ति के निमित्त संक्षिप्त में इन भवों का वर्णन करना आवश्यक है। अतएव हम कई भिन्न २ ग्रन्थों के आधार पर भगवान महावीर के कुछ भवों का वर्णन नीचे देते हैं। इस जम्बूद्वीप के अन्तर्गत पश्चिम विदेहक्षेत्र के आभूषण की तरह "जयन्ती" नामक एक नगरी है। इस नगरी में उस समय “शत्रुमर्दन" नामक एक महाप्रतापी गजा राज्य करता था। उसके राज्यान्तर्गत “पृथ्वीप्रतिष्ठात" नामक एक ग्राम था। उसमे "नयसार" नामक एक स्वामीभक्त ग्रामचिन्तक रहता था: यद्यपि वह साधुओं के संसर्ग से रहित था, तथापि पापों से पराङ्मुख और दूसरो के छिद्रान्वेषण से विमुख था। एक बार राजा की आना से लकड़ी काटने के निमित्त वह जगल में गया. लकडी काटते काटते उसे मध्यान्ह होगया । भोजन का समयहो जाने से "नयसार" के नौकर उसके लिये भोजन सामग्री ले आये।। १३
SR No.010171
Book TitleBhagavana Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraraj Bhandari
PublisherMahavir Granth Prakashan Bhanpura
Publication Year
Total Pages435
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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