________________
पढ़ने से कतराता है । इसलिए हम इस संकलन को पाकेट बुक् साइज में दे रहे है ।
राजेन्द्र मुनि जी परमश्रद्धेय राजस्थान केसरी पूज्य गुरुदेव श्री पुष्कर मुनि जी के पौत्र शिष्य हैं । आप हृदय से उदार स्वभाव से मिलनसार और कार्य करने में कुशल है । आपने बनारस की धर्मशास्त्री, कलकत्ता की काव्यतीर्थ और पाथर्डी की जैन सिद्धान्त शास्त्री आदि अनेक परीक्षाए समुत्तीर्ण की है ।
आपकी
अनेक रचनाएँ राजस्थान केशरी व्यक्तित्व र कृतित्व, भगवान महावीर : एक परिचय चौवीस तीर्थंकर : एक परिचय, देवेन्द्रमुनि शास्त्री
| साहित्यिक एक परिचय, प्रकाशन के पथ पर है । प्रस्तुत पुस्तक पाठको ने चाव से अपनायी तो हम शीघ्र ही अवशेष सूक्तियाँ भी प्रकाशित करना चाहते है ।
7.
प्रस्तुत पुस्तक को शीघ्र और मुद्रण कला की दृष्टि से सर्वाधिक सुन्दर बनाने का श्रेय स्नेह सोजन्य मूर्ति गाँधीवादी श्री जीतमल जी साहब लूणिया एव श्री प्रतापसिंह जो लूणिया को है ।
मश्री श्री तारक गुरु जैन ग्रन्थालय