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धर्म और नीति (श्रद्धा) ७५
२४८ धर्म श्रद्धा हमे आसक्ति से मुक्त कर सकती है।
२४६ श्रति और श्रद्धा प्राप्त होने पर भी संयम मार्ग मे वीर्य पुरुषार्थ होना अत्यन्त कठिन है । बहुत से लोग श्रद्धा सम्पन्न होते हुए भी सयम मार्ग मे प्रवृत्त नही होते ।
- २५० धर्म श्रद्धा से वैपयिक सुखो की आसक्ति छोडकर यह जीव वैराग्य को प्राप्त कर लेता है।
उत्तम धर्म को सुन लेने के बाद भी उस पर श्रद्धा होना और भी दुर्लभ है।