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धर्म और नीति (ब्रह्मचर्य) ६१
२०४ काम भावना से जिन जिन नारियो की और देखोगे, उतनी ही वार आत्मा अस्थिर होगी।
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वेश्या के मकान के पास नही जाए।
२०६ स्त्रियो से विरक्त रहना चाहिए ।
२०७ ब्रह्मचारी सौ वर्ष की आयु वाली स्त्री से भी दूर ही रहे ।
२०८ स्त्रीकथा को सर्वथा छोड दो ।
२०४ जो स्त्रियो द्वारा सेवित नही हैं, वे सिद्ध पुरुषो के समान ही कहे गए हैं।
२१० सुब्रह्मचर्य रूप धर्म मे रहे यानी ब्रह्मचर्य का पालन करे ।
२११ जो उग्र है महावत हैं सुदुष्कर है, ऐसे ब्रह्मचर्य को धारण करना चाहिए।
२१२ कुशील के बढाने वाले स्थान को दूर ही से छोड दो।