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धर्म और नीति (ब्रह्मचर्य) ५९
१९५ मन के चाहे हुए विषयों मे मोह का आग्रह मत करो, मोहग्रस्त न बनो।
१६६ साधक धर्म को सुन्दर समझ कर, स्त्रियो का लोभ नही करे।
१६७
रूप विपयों में मन को न लगाओ।
१६८ वैराग्यशील होकर स्त्रियो के प्रति रतिभावना नही लाए ।
१६९ स्नान आदि शंगारिक कार्यों से और स्त्रियो से विरक्त रहो।
२०० स्त्रियो के निवास स्थल पर ब्रह्मचारी का निवास . क्षम्य नही है ।
२०१ जितेन्द्रिय और गुप्तब्रह्मचारी सदा अप्रमादी होकर ही विचरे ।
. २०२ स्त्रियो से सभी इन्द्रियो द्वारा दूर ही रहना चाहिए।
२०३ अणगार स्त्रियो के साथ सहवास करने से नष्ट होते है।