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धर्म और नीति (अस्तेय) ५१
१७२ सचित्त पदार्थ हो, या अचित्त, अल्प मूल्य वाला पदार्थ हो या वहुमूल्य, और तो क्या ? दात कुरेदने की शलाका भी जिस गृहस्थ के अधिकार मे हो, उसकी विना आज्ञा प्राप्त किए पूर्ण संयमी साधक न तो स्वय ग्रहण करते हैं, न दूसरो को ग्रहण करने के लिए उत्प्रेरित करते है।
१७३ अदत्तादान चोरी अपयश करने वाला अनार्य कर्म है। यह सभी भले आदमियों द्वारा सदैव निन्दनीय है।
१७४ विना दी हुयी किसी की कोई भी चीज़ नही लेना चाहिए ।