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अस्तेय
किसी भी चीज़ को आना लेकर ग्रहण करनी चाहिए ।
१६२ चोरी से दूर रहो।
। १६३ जब व्यक्ति लोभ से अभिभूत होता है तव चौर्य कर्म के लिए प्रवृत्त होता है।
१६४ अस्तेय व्रत मे निष्ठा रखने वाला व्यक्ति बिना किसी कि अनुमति के यहा तक कि दात कुरेदने के लिए तिनका भी नहीं लेता।
जो सविभागी प्राप्त सामग्री को साथियो मे बांटता नही है उसकी मुक्ति नहीं होती है।
दूसरो का धन हरण करने वाले मनुष्य निर्दय एव परभव की उपेक्षा करने वाले होते हैं ।
१६७ पर धन मे गृद्धि का मूल हेतु लोभ है और यही चौर्य कर्म है ।