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धर्म और नीति (सत्य) ४३
१४२ मनुष्य लोभ से प्रेरित होकर असत्य बोलता है।
१४३ भिक्षु असत्य का परिहार करदे ।
१४४ छल कपट के स्थान को छोडिये ।
१४५ आत्मा को मोक्ष में ले जाने की इच्छावाला मुनि झूठ नहीं बोले ।।
१४६
हिंसा पैदा करने वाला झूठ मत बोलो।
१४७
जो सत्य हो उसी मे पराक्रम करो।
१४८ __ असत्य भापा निरर्थक है ।
१४६ मुनि पाप कारी भाषा नही बोले ।
१५० निर्ग्रन्थ अपने स्वार्थ के लिए या दूसरो के लिए क्रोध से या भय से किसी प्रसंग पर दूसरो को पीड़ा पहुंचाने वाला सत्य या असत्य वचन न तो स्वय बोले न दूसरो से बुलवाये ।
जो भापा कठोर हो और दूसरो को पीडा पहुंचाने वाली हो वैसी भाषा न बोले।