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११४ 'सत्य में दृढ रहो।
१२० है मानव! एक मात्र सत्य को ही अच्छी तरह जान ले, परख ले।
१२१ सत्य की साधना करने वाला साधक सव और दुखो से घिरा रहकर भी घबराता नही।
१२२ जो मेधावी साधक सत्य की आज्ञा मे उपस्थित रहता है, वह मृत्यु के प्रवाह को तैर जाता है।
१२३ जो असत्य की प्ररुपणा करते हैं वे संसार सागर को पार नही कर सकते।
१२४ सत्य वचनो मे भी हिंसा रहित सत्य वचन श्रेष्ठ है।
१२५
मन मे कपट रखकर झूट मत बोलो