________________
धर्म और नीति (अहिंसा) ३३
१०६ हिंसा चण्ड है, रौद्र है, क्षुद्र है अनार्य है, करुणा रहित है क्रूर है और महा भयकर है ।
१०७
अहिंसा त्रस और स्थावर सब प्राणियो को कुशल होम
करने वाली है।
१०८ जैसे भयाक्रान्त के लिए शरण की प्राप्ति हितकर है। वैसे ही प्राणियो के लिए भगवती अहिंसा हितकर है ।
१०६ सव प्राणियो के प्रति स्वयं को सयत रखना यही अहिंसा
का पूर्ण दर्शन है।
समस्त प्राणी सुख पूर्वक जीना चाहते हैं
मरना कोई नही चाहता।
किसी भी जीव को कष्ट नहीं देना चाहिए।
११२ जो वैर की परम्परा को लम्बा किया करता है वह
नरक को प्राप्त होता है।