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क्षमा
६४० सज्जन पुरुप क्षमा का आचरण करें।
६४१ उच्च आत्मा क्षमा द्वारा परिषहो को जीतता है।
६४२
क्षमापन से प्रसन्नता के भाव पैदा होते हैं।
६४३ प्रिय अप्रिय सभी शाति पूर्वक सहन करो।
६४४ सुव्रती सर्वत्र क्षमा रक्खे ।
६४५ सदैव क्षमा का आचरण करो।