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अहिंसा
दान में सर्वश्रेष्ठ अभयदान है ।
। निी के लिए यही सार है कि वह किसी की भी हिंसा न करे।
७० अहिंसा निपुण यानी अनेक प्रकार के सुखों को देने वाली है।
न तो मारे और न घात करें।
त्रस प्राणियो की हिंसा मत करो।
सभी को अपना जीवन प्यारा है ।
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जो प्राणियों की हिंसा नही करता है उसके कर्म इस प्रकार दूर हो जाते हैं जैसे कि ढालू जमीन से पानी दूर हो जाता है।
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सम्पूर्ण लोक मे किसी की भी हिंसा मत कर ।