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कासादि
६०२ अब्रह्मचर्य घोर पाप है।
९०३
जो वाल मूर्ख स्त्री के वश मे गए हुए हैं, वे जिनशासन से पगन्मुख हैं।
६०४
गद्ध मनुष्य काम भोगो मे मूच्छित होते हैं।
६०५ स्त्रियो के साथ विहार मत करो।
९०६ काम भोगो को रोग पैदा करने वाले ही देखो।
१०७ काम भोग वाले प्राणी शांति ( समता ) को नही प्राप्त कर सकते हैं।
९०८ काम भोग साक्षात् तालपुट विष के समान है।
९०६ दःख निश्चय ही काम भोगो मे अनुगद्ध होने से उत्पन्न होते हैं। १६