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अध्यात्म और दर्शन (उपदेश) २५७
७६१ सब जगह संवर का याचरण करो।
७६२ श्रेष्ठ कामो को करो।
७९३ रम मे गृद्ध वाले मत बनो ।
७६४ गुरु आदि के आश्रय मे रहता हुआ कछुए के समान अपनी इन्द्रियो को और मन को संयम मे रखने वाला बने ।
७६५ हंसता हुआ नही चले।
७६६
मुनि निर्माण को ही सावे ।
ওও भगवान की आज्ञा मे ही प्रराक्रम शील हो ।
७६८ आत्मार्थी छिन्न शोक वाला, ममता रहित और अकिंचन धर्म वाला होवे।
७६१ शका के स्थान को छोड दो।
८०० हे आत्मज्ञ | समय के मूल्य को पहचानो।