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अध्यात्म और दर्शन (उपदेश) २५५
७८२ प्रिय अप्रिय सभी शातिपूर्वक सहन करो।
७८३ सयमी निरवद्य आचारका ज्ञान करे तदनुसार आचरण करें।
७८४ जो सिद्धान्त सभी साधुओ द्वारा मान्य है वही सिद्धान्त शल्य को छेदने वाला है।
७८५ सत्य और नि गंक उसी को समझो जो कि वीतराग देव द्वारा कहा गया है।
७८६ बुढापा मनुष्य के वर्ण को हरण कर लेता है।
७८७
बुढापे को प्राप्त हुए जीव के लिए निश्चय ही रक्षा का साधन नहीं है।
७८८ पर छिद्रो के ढूढ़ने वाले मत बनो।
७८९ जल्दी जल्दी धब धब करके नही चलें ।
७६० अकल्पनीय ग्रहण नहीं करें।