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आध्यात्म र दर्शन (मोक्ष) २४७
७५६
श्रद्धा हीन को ज्ञान नही होता है, ज्ञान हीन को आचरण नही होता आचरण हीन को मोक्ष नही मिलता, और मोक्ष पाये बिना निर्वाण-पूर्ण गान्ति नही मिलती ।
७६०
जब साधक उत्कृष्ट एव अनुत्तर धर्म का स्पर्श करता है, तब आत्मा पर से अज्ञान कालिमा जन्य कर्म रज को झाड देता है । ७६१ जब मन, वचन और शरीर के योगो का निरोध कर आत्मा शैलेशी अवस्था को पाती है पूर्णत स्पन्दन रहित हो जाती है तब कर्मों का क्षय कर सर्वथा मल रहित होकर मोक्ष को प्राप्त होता है ।
७६२
जब आत्मा समस्त कर्मो का क्षय कर सर्वथा मल रहित होकर मोक्ष को पा लेती है, तव लोक के अग्रभाग पर स्थित होकर सदा के लिए सिद्ध हो जाति है ।
७६३
शीघ्र ही मोक्ष में जाने की इच्छा रखने वाला साधक सताप को दूर रखे ।