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मोक्ष
७४४ मोक्ष शिव स्वरूप है, और श्रेष्ठ है।
७४५ शुद्ध आत्मा मोक्ष को प्राप्त करती है।
७४६ सभी प्रकार के सग से विनिर्मुक्त होती हुयी सिद्ध आत्मा कर्म रहित हो जाती है।
७४७
सिद्ध प्रभु शाश्वत होते हैं ।
७४८ अज्ञान रूपी मोह के विवर्जन से एकान्त मोक्ष सुख को प्राप्त करता है।
७४६ मोक्ष के सदभूत साधन ज्ञान दर्शन और चारित्र है।
७५० मगुणी का मोक्ष नही है।
७५१ कों से अमुक्त के लिए निर्वाण नही है ।