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तत्त्व स्वरूप
७३७ ज्ञान, दर्शन, चारित्र, तप, वीर्य और उपयोग ये सब जीव के लक्षण हैं ।
७३८ जीव, अजीव, बन्ध, पुण्य, पाप, आश्रव, संवर, निर्जरा मोक्ष ये नो तत्व हैं।
७३६ गरीर का आदि भी है और अन्त भी है।
७४० जीव न कभी बढते हैं और न कभी घटते है बल्कि सदा अवस्थित रहते हैं।
७४१ जो असत् है वह कभी सत् रूप मे उत्पन्न नही होता।
७४२ कोई भी क्रिया किए जाने पर ही सुख दुःख का कारण वनती है, न किये जाने पर कभी नही।
७४३ जो दुखोत्पत्ति के कारण को नहीं समझता वह उस के निरोध का कारण कैसे जान सकेगा ?
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