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अध्यात्म और दर्शन (कर्म) २३१
७०६ कर्म से उपाधियाँ (अनेक विपत्तियाँ) पैदा होती है।
यहां पर जिन कर्मों को भोग रहे हो वे पहिले किए हुये हैं।
७११ अशुभ कर्मों का मूल कारण पाप है।
७१२ कर्म कर्ता का ही अनुगमन करता है।
७१३ उस कर्म के साथ ही जीव परलोक को जाता है ।
७१४ जैसा कर्म किया है, वैसा ही उसका बोझ समझो ।
७१५ जिसने जैसा पूर्व जन्म मे कर्म किया है, वैसा ही ससार में उसको फल भोगना पड़ता है।
७१६ कर्मी कर्मों से ही दुःख पाता है।
७१७
अवोध मनुष्य पूर्वकृत कर्मो का फल भोगते हैं।