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श्रध्यात्म और दर्शन (वारणी विवेक) २१६
६६६
विचार शील पुरुष सदा स्याद्वाद से युक्त वचन का प्रयोग करे ।
६६७
थोडे मे कही जानी वाली बात को लभ्वी न करें ।
६६८
साधक आवश्यक्ता से अधिक न बोले ।
६६६
छ तरह के वचन नही बोलने चाहिए, असत्यवचन, तिरस्कार युक्त वचन, भिडकते हुए वचन, कठोर वचन, साधारण मनुष्यो की तरह अविचार पूर्णवचन, और शान्त हुए कलह को फिर से भडकाने वाले वचन ।
६७०
वाचालता सत्य वचन का विघात करती है ।
६७१
जिस वात को स्वय न जानता हो उसके सम्वन्ध में 'यह ऐसा ही हैं इस प्रकार निश्चित भाषा न बोले ।
६७२
जिस विषय मे अपने को शका हो उसके विषय मे 'यह ऐसा ही है' इस प्रकार निश्चित भाषा न वोले ।
६७३
किसी भी प्रकार के दवाव व खुशामद से अयोग्य को योग्य नही कहना चाहिए, योग्य को योग्यं कहना चाहिए ।