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अध्यात्म और दर्शन (मान) २०६
६३४ जिन रूप केवली ही सब कुछ जानते हैं ।
सम्यक् दर्शन से रहित का सम्यग् ज्ञान नही होता है।
६३६ ज्ञान से ही मुनि होता है और, तप से ही तपस्वी होता है ।
६३७ जो निश्चय मे ज्ञानी है वे संसार का अस्त करने वाले होते है।
६३८ ज्ञान दो प्रकार का है प्रत्यक्ष और परोक्ष।
६३६ ज्ञान की संम्पन्नता से जीव सभी पदार्थों का ज्ञान उत्पन्न कर लेता है। -
६४० चार प्रकार की बुद्धि बतलाई गयी है ओत्पातिकी, वेनयिकी कार्मिक और पारिणामिकी।