________________
अध्यात्म और दर्शन (प्रात्मा) १८१
५४८ जो आतरिक को जानता है वही वाह्य को भी जानता है और जो बाह्य को जानता है वही आतरिक को भी जानता है।
५४६ । अकेली आत्मा पर ही विजय प्राप्त करो यही सर्वश्रेष्ठ विजय है।
यह आत्मा अनेक बार इधर उधर भागते हुए पटका गया, फाड़ा गया, छिन्न-भिन्न किया गया।