________________
धर्म और नीति (धर्म) ६
२५ धर्म को समझने वाला सरल हृदयी होता है ।
जिन भगवान द्वारा उपदिष्ट यह धर्म ही ध्रुव है, नित्य, शाश्वत है।
२७
अकेला धर्म ही रक्षक है, अन्य कोई यहा पर रक्षक नही पाया जाता।
आचरण योग्य धर्म को जानकर के सभी दुख नाश किये जा सकते है।
२४ धर्म के प्रति श्रद्धा से सातावेदनीय जनित सुखो पर विरक्ति पैदा हो जाती है।
आर्य धर्म का आचरण करके अनेक महापुरुप दिव्य गति को जाते है।
आजानुसार चलना ही मेरा धर्म है।
३२ श्रेष्ठ धर्म को जानकर क्रिया करता हुआ ममत्व भाव को नही रखे।