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धर्म और नीति (कर्तव्य) १६६
संयम का आचरण करो।
५१६ आत्मा को पाप से बचाने के लिए संयम शील हो।
अपनी प्रशसा पूजा और प्रतिष्ठा से दूर ही रहो।
५२१ सुपरित्यागी इन्द्रिय दमन रूप धर्म का आचरण करें।
५२२ आचार्य की भक्ति विचार पूर्वक वाणी मे रही हुई है।
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