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धर्म और नीति (सदाचार) १५६
४६८ कभी कभी अज्ञान अन्धकार में भी सदाचार की ज्योति जल उठती है और कभी कभी ज्ञान ज्योति पर दुराचार का अन्धकार भी छा जाता है ।
४६६ जो व्यवहार धर्म सगत है जिसका तत्वज्ञ आचार्यो ने सदा आचरण किया उस व्यवहार सदाचार का आचरण करने वाला मनुष्य कभी भी निन्दा का पात्र नही होता ।