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ब्राह्मण कौन ?
४६८ जो आने वाले स्नेही जनो मे, आसक्ति नही रखता और जो उनके जाने पर शोक नही करता जो सदा आर्य वचनो मे रमण करता है, उसे हम ब्राह्मण कहते है ।
४६६ जो अग्नि मे तपाकर शुद्ध किए हुए और कसौटी पर परखे हुए सोने के समान निर्मल है, जो राग द्वेष तथा भय से रहित है, उसे हम ब्राह्मग कहते हैं।
४७० जो जगम स्थावर सभी प्राणियो को भलीभाति जानकर उनकी ' तन मन वचन से कभी हिंसा नहीं करता, उसे हम ब्राह्मण कहते हैं।
४७१ जो क्रोध से हास्य लोभ अथवा भय से किसी भी अशुभ, सकल्प से असत्य नही वोलता उसे हम ब्राह्मण कहते हैं ।
४७२ जो सचित्त अचित्त कोई भी पदार्थ चाहे वो थोड़ा हो या ज्यादा स्वामी के दिए विना चोरी से नही लेता उसे हम ब्राह्मण कहते है।