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धर्म और नीति (लोम) १३७
४३६ यथावसर संचित धन को तो दूसरे उड़ा लेते हैं और संग्रही को अपने पाप कर्मो का दुष्फल फल भोगना पड़ता है।
४४० कृमिराग अर्थात् मजीठ के रंग समान जीवन में कभी नही छूटने वाला लोभ आत्मा को नरक गति की ओर ले जाता है।
४४१ मनुष्य लोभग्रस्त होकर झूठ बोलता है ।
४४२ लोभ को जीत लेने से सतोप की प्राप्ति होती है।