________________
सद्गुण
गुणवान व्यक्ति का वचन घृतसिंचित अग्नि की तरह तेजस्वी होता है जबकि गुणहीन व्यक्ति का वचन स्नेहरहित (तैलशून्य) दीपक की तरह तेज और प्रकाश से शून्य होता है।
हस जिस प्रकार अपनी जिह्वा की अम्लता शक्ति के द्वारा जल मिश्रित दूध मे से जल को छोडकर दूध को ग्रहण कर लेता है उसी प्रकार सुशिष्य दुर्गुणो को छोडकर सद्गुणों को ग्रहण करता है।
३६४ क्रोध, ईर्ष्या-डाह, अकृतज्ञता और मिथ्या आग्रह इन चार दुगुणो के कारण मनुष्य के विद्यमान गुण भी नष्ट हो जाते हैं।
सद्गुण से साधु कहलाता है, दुर्गुण से असाधु । अतएव दुर्गुणो को त्याग कर सद्गुणों को ग्रहण करो।
जव तक जीवन है तब तक सद्गुणो की आराधना करते रहना चाहिए।
३६७ ममता रहित और अहकार रहित बनो