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________________ धर्म और नीति ( संयम ) १०६ ३५२ सव गृहस्थो की अपेक्षा साधुओ का संयम श्रेष्ठ होता है । ३५३ सयमी पुरुष हिंसा, झूठ, चोरी, अब्रह्मचर्य सेवन, भोगलिप्सा एव लोभ इन सवका सदा परित्याग करे । ३५४ जो मनुष्य प्रति मास दस दस लाख गायो का दान देता है उसकी अपेक्षा दान न देने वाले अकिंचन सयमी का सयम श्रेष्ठ है । ३५५ आत्मा को शरीर से पृथक् जानकर भोगलिप्त शरीर को बुन डालो | ३५६ अपने को कृग करो, तन-मन को हल्का करो, अपने को जीर्ण करो और भोगवृत्ति को जर्जर करो । ३५७ सयम के चार प्रकार हैं-मन का सयम, वचन का सयम, शरीर का सयम और उपाधि सामग्री का सयम | ३५८ गर्हा (आत्मालोचन ) सयम है और अगर्हा सयम नही है ।
SR No.010170
Book TitleBhagavana Mahavira ki Suktiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1973
Total Pages355
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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